वर्ल्ड टीम ब्लिट्ज चैंपियनशिप में होउ यिफान को हराकर दिव्या देशमुख ने भारत को दिलाई गर्व की ऐतिहासिक जीत

भारत की दिव्या देशमुख ने वर्ल्ड नंबर 1 महिला ग्रैंडमास्टर को हराया

19 वर्षीय भारतीय शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए लंदन में आयोजित वर्ल्ड टीम ब्लिट्ज चैंपियनशिप के सेमीफाइनल के दूसरे चरण में दुनिया की नंबर 1 महिला खिलाड़ी चीन की होउ यिफान को पराजित कर सबको चौंका दिया। यह जीत न सिर्फ दिव्या के करियर की सबसे बड़ी जीतों में से एक है बल्कि यह भारतीय शतरंज इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण पल बन गया है।

होउ यिफान जिन्हें आधुनिक युग की सबसे मजबूत महिला ग्रैंडमास्टर्स में गिना जाता है पर यह दिव्या की पहली जीत है। इस मुकाबले में दिव्या ने जबरदस्त सूझबूझ धैर्य और आक्रामकता का परिचय देते हुए विपक्षी की एक-एक चाल का सटीक जवाब दिया। उन्होंने न सिर्फ अपने खेल से दर्शकों का दिल जीता बल्कि यह साबित कर दिया कि भारत की युवा प्रतिभाएं अब बड़े स्तर पर नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार हैं।

दिव्या की यह जीत टीम इंडिया के लिए भी उत्साहजनक रही क्योंकि यह निर्णायक मोड़ साबित हुआ और भारतीय टीम के मनोबल को नई ऊर्जा मिली। सोशल मीडिया पर इस शानदार प्रदर्शन की खूब सराहना हो रही है और खेल जगत से लेकर आम दर्शकों तक सभी दिव्या को बधाई दे रहे हैं।

भारतीय शतरंज प्रेमियों को अब उनसे भविष्य में और भी बड़ी उपलब्धियों की उम्मीद है।

भारत की एक अंतर्राष्ट्रीय मास्टर दिव्या देशमुख अपने आक्रामक खेल और सामरिक तीक्ष्णता के साथ महिला शतरंज में आगे रही हैं। 2005 में जन्मी दिव्या ने टाटा स्टील शतरंज इंडिया महिला रैपिड टूर्नामेंट जीता है और मौजूदा विश्व जूनियर चैंपियन हैं।

 

दिव्या देशमुख की उपलब्धि 

देशमुख ने एशियाई चैंपियनशिप, विश्व जूनियर चैंपियनशिप और विश्व युवा चैंपियनशिप में भी कई स्वर्ण पदक जीते हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भवन भगवानदास पुरोहित विद्या मंदिर से प्राप्त की। उनके माता-पिता, जितेंद्र देशमुख और नम्रता देशमुख है।

जन्म स्थान 

देशमुख का जन्म नागपुर में एक मराठी परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता जितेंद्र देशमुख और नम्रता देशमुख, डॉक्टर हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भवन्स भगवानदास पुरोहित विद्या मंदिर से प्राप्त की।